Wednesday, 29 December 2021

कौन पढ़ता हैं ??

यहाँ ख़ामोश नज़रों की गवाही कौन पढ़ता है.

मेरी आँखों में तेरी बेग़ुनाही कौन पढ़ता है.


नुमाइश में लगी चीज़ों को मैला कर रहे हैं सब.

लिखी तख्तों पे "छूने की मनाहीकौन पढ़ता है.


जहाँ दिन के उजालों का खुला व्यापार चलता हो.

वहाँ बेचैन रातों की सियाही कौन पढ़ता है.


ये वो महफिल हैजिसमें शोर करने की रवायत है.

दबे लब पर हमारी वाह-वाही कौन पढ़ता है.


वो बाहर देखते हैंऔर हमें मुफ़लिस समझते हैं.

खुदी जज़्बों पे अपनी बादशाही कौन पढ़ता है.


जो ख़ुशक़िस्मत हैंबादल-बिजलियों पर शेर कहते हैं.

लुटे आंगन में मौसम की तबाहीकौन पढ़ता है.....


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