नमस्कार दोस्तों
आज बड़े दिनों के बाद मन की बातों को शब्दों में पिरो रही हूँ …. लिख तो काफ़ी सालो से रही हूँ पर बाँटने की ताक़त आज देख रही हूँ…।
आप जानते हैं
“ज़िंदगी में सबसे क़ीमती ख़्वाब होते हैं
और जब ख़्वाब ख़्वाहिशें बन जाए तो ज़िंदगी ख़ाली हो जाती हैं ।”
ख़्वाब यानी सपने ज़िंदगी का मक़सद ज़रूर होते हैं पर ज़िंदगी से ऊपर नहीं होते…. पर फिर भी क्यू सपनो का टूटना एहसास दिलाता हैंकी ज़िंदगी मैं कुछ बचा ही नहीं हैं ।
अगले ही पल ये सोचना भी ख़ास हैं की हमें ऊपर वाले ने विशेष बनाया हैं जो अपने जीवन के मक़सद को पूरा करने ही इस लोक में भेजेगए हैं । हम सपनो के पीछे क्यूँ भाग रहे थे ,,,,, हमारा भागना …..रुकना तो ऊपरवाला निश्चित करता हैं । हम तो उसके निर्देशन मेंकिरदार निभाते हैं बस ……॥
“कर्म कर फल की इच्छा मत रख “
बस इसी मूल मंत्र पर चलते जाना हैं ॥ ज़िंदगी का मक़सद ज़रूर पूरा होगा।
सकारात्मक रहिए और सकारात्मक ऊर्जा को फैलाइए ।
शुभ रात्रि
No comments:
Post a Comment