मेरी दुनिया
मेरे दुनिया में होने का मतलब...
मेरे दिन रात की चहक और महक...
मेरे जीवन की सॉंस और आत्मा...
मेरे होंठों की हँसी...
मेरी ऑंखो की चमक...
घर की रोशन खनक
गूंजती महकती धनक
मेरे जीवन का सौभाग्य
मेरी तपस्या का भाग
घर को घर बनाती हैं
मुझे उसमें माँ, बहन, सखी
सारे रूप नज़र आते हैं ॥
वो अकेले ही हज़ारों हैं
वरना हज़ारों में भी मैं अकेली हूँ
मैं क्या हूँ कैसी हूँ
बिना आईना मैं उसमें दिखती हूँ
वो मेरी दुनिया …मेरा गुमान
मेरे नाम को सारथक करने वाली...
मेरी बेटी… मेरी तस्वीर …. मेरी छाया
एक माँ की बात …….॥
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